Elon Musk जिस टेक्नोलॉजी पर 10 साल से कर रहे काम, IIT ने बनाया उसमें कीर्तिमान

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Hyperloop Tech

IIT Madras ने बनाया कीर्तिमान

टेक्नोलॉजी की दुनिया में एलन मस्क का नाम कौन नहीं जानता? Tesla जैसी इलेक्ट्रिक कार, Starlink जैसी स्पेस टेक कंपनी, Doge Coin जैसी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के साथ-साथ उन्होंने Twitter को खरीदकर उसे X में बदलने का भी काम किया है. वहीं 10 साल पहले उन्होंने ट्रांसपोर्टेशन से जुड़ी एक और टेक्नोलॉजी को पॉपुलराइज करने का काम किया था. अब उसी टेक्नोलॉजी को लेकर IIT Madras और भारतीय रेलवे ने एक नया कीर्तिमान बनाया है.

यहां बात हो रही है Hyperloop टेक्नोलॉजी की, जिसमें एक वैक्यूम ट्यूब के अंदर सुपरस्पीड में ट्रेन या ट्रैवल पॉड्स को रन किया जाता है. आईआईटी मद्रास और इंडियन रेलवे ने इसी टेक्नोलॉजी को लेकर एक नया कीर्तिमान बनाया है.

भारत में तैयार हुआ पहला टेस्टिंग ट्रैक

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि भारत का पहला हाइपरलूप टेस्टिंग ट्रैक अब बनकर तैयार हो चुका है. देश के अंदर ट्रांसपोर्टेशन टेक्नोलॉजी के विकास के क्षेत्र में ये एक नया मुकाम है. भारत ने 410 मीटर लंबा देश का पहला हाइपरलूप टेस्टिंग ट्रैक बना लिया है.

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कैसे काम करती है Hyperloop Technology?

हाइपरलूप टेक्नोलॉजी, असल में एक रेलवे सिस्टम या मेट्रो सिस्टम की तरह ही ऑपरेट होता है. ये आधुनिक जमाने का हाई-स्पीड मास ट्रांसपोर्ट सिस्टम है, लेकिन इसमें रेलवे की परंपरागत टेक्नोलॉजी की जगह नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है. ये काफी एफिशिएंट और सस्ती पड़ती है.

इस टेक्नोलॉजी में लो-प्रेशर ट्यूब्स में पॉड, कैप्सूल को एयर-बीयरिंग सरफेस पर दौड़ाया जाता है. आसान भाषा में समझें तो इसमें हवा के प्रेशर का इस्तेमाल करके यात्रियों के पॉड्स को एक तरफ से दूसरे तरफ ट्रांसफर किया जाता है. हर पॉड में 24 से 28 पैसेंजर यात्रा कर सकते हैं.

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हाइपरलूप टेक्नोलॉजी का ओरिजिनल विकास स्विस प्रोफेसर मर्केल जफर ने 1970 में किया था. साल 1992 में स्विस मेट्रो ने इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया, लेकिन 2009 में ये कंपनी बंद हो गई. बाद में 2012 में एलन मस्क ने हाइपरलूप एल्फा पेपर पब्लिश करके इस टेक्नोलॉजी को फिर से इंट्रोड्यूस किया.



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