शेयर बाजार को रेग्युलेट करने वाली संस्था सेबी ने आईपीओ को लेकर नियमों को सख्त कर दिया है। सेबी ने मर्चेंट बैंकरों से शेयर बाजारों द्वारा संचालित ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आईपीओ से संबंधित दस्तावेजों को अपलोड और मेंटेनेंस करने के लिए कहा। व्यापक जांच-परख के बाद अपलोड किए जाने वाले इश्यू दस्तावेजों तक संबंधित मर्चेंट बैंकर पर्सनल लॉगिन आईडी का इस्तेमाल कर पहुंच हासिल कर सकते हैं। हालांकि, सेबी ने सर्कुलर में कहा कि ऐसे दस्तावेज उसके पर्यवेक्षण कार्यों के लिए उपलब्ध कराने होंगे।
रिपॉजिटरी को किया लॉन्च
शेयर बाजारों ने एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ‘रिपॉजिटरी’ पेश किया है जहां मर्चेंट बैंकर आईपीओ से संबंधित दस्तावेजों को अपलोड करने के अलावा उनकी मेंटेनेंस कर सकते हैं। यह प्लेटफॉर्म आसान पहुंच और कुशल रिकॉर्ड प्रबंधन की सुविधा प्रदान करता है। शेयर बाजार भारतीय निवेश बैंक संघ (एआईबीआई) के साथ तैयार किए गए दस्तावेजों की सूची और अपलोड करने के निर्देश प्रदान करेंगे।
एक जनवरी से है प्रभावी
अगले साल एक जनवरी से प्रभावी होने वाले निर्देशों के तहत सेबी या शेयर बाजारों को आईपीओ संबंधी ड्राफ्ट दस्तावेज दाखिल किए जाने के 20 दिनों के भीतर और शेयर बाजारों पर सूचीबद्ध किए जाने के 20 दिनों के भीतर इन दस्तावेजों को अपलोड किया जाना चाहिए। हालांकि, एक अप्रैल 2025 से यह समयसीमा और भी कम हो जाएगी। उस समय मसौदा दस्तावेज जमा किए जाने के 10 दिनों के भीतर और सूचीबद्धता के 10 दिनों के भीतर दस्तावेजों को मंच पर अपलोड करना होगा।
इक्विटी कैश मार्केट पर सेबी का प्रपोजल
इस बीच, सेबी ने इक्विटी कैश मार्केट में शेयरों के बंद भाव को तय करने के लिए देश में बंद नीलामी सत्र (सीएएस) ड्राफ्ट शुरू करने का प्रस्ताव रखा। फिलहाल, भारत में शेयरों के बंद भाव को कारोबारी दिन के आखिरी 30 मिनट के कारोबार की मात्रा आधारित औसत मूल्य (वीडब्ल्यूएपी) का इस्तेमाल करके तय किया जाता है। यह व्यवस्था एक उचित बाजार बंद मूल्य तय करने की सुविधा देती है, लेकिन इससे सटीक बंद मूल्य पर कारोबार नहीं किया जा सकता है।