‘द बीस्ट’ कार में एक एयरक्राफ्ट का इंजन फिट किया गया था.Image Credit source: facebook.com/johndoddbeast
World’s Fastest Car The Beast: करीब 50 साल पहले, ब्रिटेन के जॉन डॉड ने एक ऐसी कार बनाई, जो दुनिया की सबसे पावरफुल और फास्ट कार बन गई. लेकिन उसमें ऐसी क्या खासियत थी जो यह आधी सदी पहले की सबसे तेज दौड़ने वाली कार बनी? जॉन ने ‘द बीस्ट’ नामक इस कार में एक बहुत ही खास इंजन लगाया, यह एक प्लेन का इंजन था. उन्होंने द बीस्ट में रोल्स-रॉयस मर्लिन V12 इंजन का इस्तेमाल किया, जो द्वितीय विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश एयरक्राफ्ट्स में इस्तेमाल होता था.
कैसे शुरू हुआ ये प्रोजेक्ट?
यह कहानी 1966 से शुरू होती है जब जॉन डॉड ने एक कस्टम रोलिंग चेसिस पर काम करना शुरू किया. शुरुआत में उन्होंने एक टैंक इंजन लगाने का सोचा था, लेकिन जैसे-जैसे काम बढ़ा, उन्होंने इसे और बड़ा और बेहतर बनाने की सोची.
1972 में द बीस्ट सड़कों पर आई गई. इस कार में उन्होंने एयरक्राफ्ट्स में इस्तेमाल किए जाने वाले रोल्स-रॉयस मर्लिन V12 को फिट किया. यह 19 फीट लंबी कार थी, और इसका बोनट ही 10 फीट लंबा था.
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कार में प्लेन का इंजन
कार का डिजाइन और विवाद
इस कार का डिजाइन भी बेहद खास था. जॉन डॉड ने इसे एक कस्टम मेड बॉडी दी, जो पूरी तरह से अलग और लंबी दिखती थी. इसके आगे की ओर रोल्स-रॉयस का एक फ्रंट ग्रिल लगाया गया था, लेकिन रोल्स-रॉयस को यह पसंद नहीं आया और उन्होंने जॉन डॉड के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया. बाद में जॉन ने इस ग्रिल को बदलकर अपना खुद का ग्रिल लगवाया.
1974 में एक हादसा हुआ, जिसमें इस कार में आग लग गई थी. इससे द बीस्ट को काफी नुकसान पहुंचा. जॉन ने फैसला किया कि वह इसे फिर से बनाएंगे. उन्होंने इस कार को दोबारा बनाया.
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बीस्ट का नाम और उसकी कीमत
यह कार इतनी खास थी कि इसे ‘बीस्ट’ नाम दिया गया. और यह केवल एक कस्टम कार नहीं, बल्कि इतिहास का हिस्सा बन गई. अभी कुछ ही साल पहले इसे नीलामी में 72,500 ब्रिटिश पाउंड (लगभग 77.67 लाख रुपये) में बेचा गया. इस कार को अभी भी सड़क पर चलाया जा सकता है और यह अभी भी रोल्स-रॉयस के नाम पर रजिस्टर है, हालांकि कंपनी ने इसे लेकर कई बार कानूनी लड़ाई लड़ी थी.