
तालिबान के खिलाफ उठाई आवाज (Photo: Darrian Traynor-ICC/ICC via Getty Images)
राशिद खान और मोहम्मद नबी, तालिबान से भिड़ गए हैं? जी नहीं, यहां भिड़ने से मतलब लड़ाई से नहीं बल्कि गलत फरमान के खिलाफ आवाज उठाने से है. अफगानिस्तान के दोनों स्टार क्रिकेटर देश में महिलाओं की मेडिकल ट्रेनिंग पर बैन लगाने के तालिबान के फैसले के खिलाफ हैं. उन्होंने उस फैसले पर तालिबान को दोबारा से गौर फरमाने को कहा है. तालिबान के मंत्री हिबतुल्लाह अखुंदजदा ने 2 दिसंबर को एक फरमान जारी कर अफगानिस्तान में महिलाओं की मेडिकल ट्रेनिंग पर बैन लगाने की घोषणा की थी.
राशिद खान ने फैसले के खिलाफ उठाई आवाज
तालिबान के उस फैसले का 4 दिसंबर को राशिद खान और मोहम्मद नबी दोनों ने जवाब दिया. देश को दोनों जाने-माने क्रिकेटरों ने उस फैसले के खिलाफ आवाज बुलंद की है. राशिद खान ने कहा कि इस्लाम में शिक्षा मजबूत स्तंभ है. वो मेन पिलर है और सबका अधिकार भी. उससे ना तो पुरुषों को वंचित रखा जा सकता है और ना ही महिलाओं को.
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— Rashid Khan (@rashidkhan_19) December 4, 2024
‘लड़ाई’ में राशिद को मिला नबी का भरपूर साथ
राशिद खान को तालिबानी फरमान के खिलाफ आवाज उठाने में मोहम्मद नबी का भी पूरा साथ मिला. उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर तालिबान सरकार के फैसले को ठेस पहुंचाने वाला बताया. उन्होंने कहा कि लड़कियों या महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने से रोका नहीं जा सकता. इस्लाम में भी शिक्षा को महत्व दिया गया है. ऐसे में तालिबानी सरकार का फैसला दुखद है.
— Mohammad Nabi (@MohammadNabi007) December 4, 2024
तालिबान सरकार से की गुजारिश
फैसले का विरोध करते हुए दोनों ही क्रिकेटरों ने तालिबान से फिर से विचार करने को कहा है. दोनों ने कहा कि अगर लड़कियों और महिलाओं को भी शिक्षा मिलती है तो इसमें बुरा क्या है? ये तो अच्छी बात है कि शिक्षा प्राप्त कर वो भी देश के विकास में अपना योगदान दे सकेंगी.
एक रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान ने मेडिकल प्रोफेशनल्स की पहले से कमी है. तालिबान सरकार के नए फैसले के बाद स्थिति और भी भयावह हो सकती है. ऐसे में राशिद और नबी की उठाई आवाज का क्या असर होता है, ये अब आने वाले वक्त में ही पता चलेगा.