भारतीय बैंकों ने दी अडानी समूह को टेंशन? संकट के बीच कर रहे रिस्क रिव्यू

संकट के दौर से गुजर रहे अडानी समूह पर भारतीय बैंकों की निगरानी बढ़ गई है। दरअसल, एसबीआई समेत देश के अन्य लेंडर्स अडानी समूह को दिए कर्ज के जोखिम की समीक्षा कर रहे हैं। समीक्षा करने वालों में बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक, केनरा बैंक, आईडीबीआई बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और आरबीएल बैंक भी शामिल हैं।

क्या है समीक्षा का मकसद

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक खबर के मुताबिक आठ बैंकरों ने कहा कि लेंडर्स यह जांच कर रहे हैं कि क्या अडानी समूह को नए लोन की पेशकश करते समय नियमों को कड़ा करने की जरूरत है या नहीं। समीक्षा से समूह के संबंध में लेंडर्स यानी ऋणदाताओं के डेब्ट आउटलुक में कोई बदलाव जरूरी नहीं होगा। घटनाक्रम से वाकिफ एक नियामक सूत्र ने कहा कि बैंकिंग प्रणाली के नजरिए से घबराने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि इस समय कोई भी इकाई समूह के संपर्क में नहीं है। इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक ने रॉयटर्स द्वारा टिप्पणी मांगने वाले ईमेल का जवाब नहीं दिया गया है।

एसबीआई है सबसे बड़ा लेंडर

ब्रोकरेज फर्म आईआईएफएल सिक्योरिटीज के अनुसार 33,800 करोड़ रुपये (4 बिलियन डॉलर) के स्वीकृत ऋण के साथ भारतीय बैंकों में एसबीआई का अडानी समूह में सबसे बड़ा एक्सपोजर है। सूत्रों ने कहा कि एसबीआई अडानी की चल रही परियोजनाओं को ऋण देना बंद नहीं करेगा। हालांकि, बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए ऋण वितरित करते समय सावधानी बरतेगा कि समूह द्वारा सभी नियमों और शर्तों को पूरा किया जा रहा है या नहीं।

अडानी पर लगे हैं आरोप

बता दें कि अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी समेत अन्य अधिकारियों पर आरोप है कि सौर ऊर्जा बिक्री ठेका हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 26.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर की रिश्वत दी गई, जिससे कंपनी को 20 वर्ष की अवधि में दो अरब अमेरिकी डॉलर का लाभ हो सकता था। हालांकि, समूह ने कहा था कि कथित रिश्वतखोरी के मामले में अमेरिका के विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) के उल्लंघन का कोई आरोप नहीं लगाया गया है। बल्कि उन पर प्रतिभूति धोखाधड़ी के तहत आरोप लगाया गया है जिसमें मौद्रिक दंड लगाया जा सकता है।

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