India vs Australia Test: बॉर्डर-गावस्कर जैसे दिग्गज बल्लेबाजों के नाम पर ट्रॉफी लेकिन एक ही दिन में गिर गए 17 विकेट

India vs Australia Test: बॉर्डर-गावस्कर जैसे दिग्गज बल्लेबाजों के नाम पर ट्रॉफी लेकिन एक ही दिन में गिर गए 17 विकेट

पर्थ में बल्लेबाजों के साथ अनर्थ (PC-PC-PTI)

सुनील गावस्कर ने अपने टेस्ट करियर में 34 शतक जड़े. एलेन बॉर्डर के नाम 27 टेस्ट शतक हैं. दोनों ने अपनी-अपनी टीम की कप्तानी भी की है. गावस्कर ने 80 के दशक के आखिरी सालों में क्रिकेट को अलविदा कहा. एलेन बॉर्डर 5-6 साल और खेले. लेकिन पर्थ टेस्ट के पहले दिन जो कुछ हुआ उसे देखकर ये दोनों ही बल्लेबाज हैरान होंगे. पर्थ टेस्ट में पहले ही दिन 17 विकेट गिरे. ऐसा नहीं कि टेस्ट क्रिकेट में पहले कभी एक दिन में 17 विकेट नहीं गिरे. ऐसा पहले भी कई बार हुआ है. बल्कि गिरने को तो एक दिन में 27 विकेट भी गिरे हैं. 1988 में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच लॉर्ड्स टेस्ट में दूसरे दिन 27 विकेट गिरे थे. ये टेस्ट क्रिकेट के लंबे इतिहास में एक रिकॉर्ड है.

भारतीय टीम के लिहाज से बात करें तो 2018 में अफगानिस्तान के खिलाफ बेंगलुरु टेस्ट में दूसरे दिन के खेल में 24 विकेट गिरे थे. लेकिन इस तरह जब एक ही दिन में थोक-भाव में विकेट गिरते थे तो दोनों टीमों के प्रदर्शन में फर्क हुआ करता था. यानी एक टीम दूसरे पर भारी हुआ करती थी. पर्थ टेस्ट में तो टेस्ट क्रिकेट में मौजूदा समय की पहली और दूसरे नंबर की टीम खेल रही थी. आईसीसी रैंकिंग में पहले और दूसरे नंबर की टीम के बल्लेबाज़ों का ऐसा हाल देखकर हैरानी होती है. जब एक ही टेस्ट मैच में विराट कोहली, केएल राहुल, स्टीव स्मिथ, उस्मान ख्वाजा और मार्नस लाबुशेन जैसे बड़े बल्लेबाज़ों में से सिर्फ एक बल्लेबाज दहाई के आंकड़ें को पार कर पाए तो भी हैरानी होती है. विराट कोहली, केएल राहुल, स्टीव स्मिथ, उस्मान ख्वाजा और मार्नस लाबुशेन सिर्फ केएल राहुल हैं जो 26 रन तक पहुंच पाए. ऐसे में सवाल ये है कि भारत-ऑस्ट्रेलिया की टीम में किसके बल्लेबाज़ों ने ज्यादा खराब बल्लेबाजी की?

अब किसी का भी घर सुरक्षित नहीं है

पर्थ टेस्ट में अभी चार दिन का खेल बचा है. नतीजा कुछ भी हो सकता है. लेकिन पर्थ टेस्ट से ये संदेश तो मिला ही कि अगर तेज गेंदबाजों को जरूरत से ज्यादा मदद देने वाले विकेट बनाए गए तो मेजबान टीम को भी दिक्कत होगी. ये बिल्कुल वैसे ही है जैसे हाल ही में भारत ने न्यूजीलैंड को फंसाने के लिए स्पिन फ्रेंडली विकेट बनवाए थे. लेकिन लेने के देने पड़ गए. न्यूजीलैंड की टीम ने स्पिन गेंदबाजों के खिलाफ संयम और धैर्य से बल्लेबाजी करके सीरीज के सभी तीन टेस्ट मैच जीत लिए. वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में भारत के लिए चुनौती इसी वजह से बनी क्योंकि न्यूजीलैंड ने भारत को 3-0 से हरा दिया.

भारतीय टीम जब 150 रन पर ऑल आउट हुई तो उसके फैंस मायूस थे. हर किसी को ये लग रहा था कि भारतीय टीम के बल्लेबाज़ों ने घुटने टेक दिए. लेकिन जब कंगारुओं की बारी आई तो हालात नहीं बदले. ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी तो अपने घर में खेल रहे थे. अगर पहले दिन के खेल की तुलना करें तो आप पाएंगे कि भारतीय टीम तो फिर भी 4 विकेट खोकर पचास रन का आंकड़ा पार कर चुकी थी. ऑस्ट्रेलिया की टीम 47 रन पर 6 विकेट खो चुकी थी. यानी ये स्कोरबोर्ड बताता है कि लड़ाई इस बात की नहीं थी कि कौन बेहतर बल्लेबाजी करेगा बल्कि लड़ाई इस बात की लग रही थी कि ज्यादा खराब बल्लेबाजी कौन करेगा?

भारत के सभी बल्लेबाज कैच आउट हुए

पर्थ टेस्ट में ये भी दिलचस्प ही रहा कि पहली पारी में भारतीय टीम के सभी खिलाड़ी कैच आउट हुए. टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में गिने चुने मौकों पर पहले भी ऐसा हुआ है. इसमें से चार कैच विकेटकीपर एलेक्स कैरी ने लपका. एलेक्स कैरी ने केएल राहुल, वाशिंगटन सुंदर, देवदत्त पड्डिकल और जसप्रीत बुमराह का कैच लपका. हालांकि इसमें केएल राहुल के कैच को लेकर काफी विवाद भी हो रहा है. कई क्रिकेटर्स तकनीक पर सवाल उठा रहे हैं. उस्मान ख्वाजा और मार्नश लाबुशेन ने भी 2-2 कैच लपके. विराट कोहली का कैच उस्मान ख्वाजा ने ही लपका था. इससे उलट ऑस्ट्रेलिया के जो सात विकेट गिरे उसमें 3 बल्लेबाज एलबीडब्लू हुए थे और एक क्लीन बोल्ड. 3 खिलाड़ी विकेट के पीछे लपके गए. लेकिन अब अगर आप बल्लेबाजी की गुणवत्ता की बात करेंगे तो मामला थोड़ा तकनीकी हो जाएगा.

सबसे पहले तो ये समझ लीजिए दुनिया का कोई भी बल्लेबाज बोल्ड या एलबीडब्लू नहीं होना चाहता. ऐसा इसलिए क्योंकि इन दोनों तरीकों से आउट होने का मतलब होता है कि बल्लेबाज पूरी तरह गेंद की लाइन से चकमा खा गया. लाइन को गलत ‘जज’ करने की वजह से ही या तो वो बोल्ड हो गया या एलबीडब्लू. कैच आउट होने के बाद भी लौटना पवेलियन ही पड़ता है लेकिन कहने को ये रहता है कि गेंद के मूवमेंट को समझने में चूक हुई और ‘एज’ लग गया यानी गेंद ने बल्ले का किनारा छू लिया. कई बार गेंद बल्ले पर पूरी तरह नहीं आती और शॉट मिसटाइम हो जाता है. ऐसा भी होता है कि शॉट में उतनी ताकत ही नहीं लगी जितनी लगनी चाहिए थी. कुल मिलाकर नतीजा कैच आउट ही है.

ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों का भी पर्थ में बुरा हाल

अब जरा ये भी जान लेते हैं कि ऑस्ट्रेलिया की तरफ से बोल्ड और एलबीडब्लू होने वाले बल्लेबाज कौन थे. नाथन मैकस्विनी को छोड़ दें तो मार्नश लाबुशेन, स्टीव स्मिथ एलबीडब्लू हुए और ट्रेविस हेड बोल्ड. मार्नश लाबुशेन और स्टीव स्मिथ की गिनती बड़े टेस्ट बल्लेबाज़ों में होती है. ट्रेविस हेड तो वैसे ही भारत के बड़े दुश्मन हैं. पिछली बार वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में उन्होंने शतक लगाया था. ट्रेविस हेड ने ही वर्ल्ड कप फाइनल में भी शतक लगाया था. यानी अगर आप न्यूट्रल होकर इस मैच के पहले दिन का आंकलन करेंगे तो आप पाएंगे कि मेजबान टीम के बल्लेबाज अपनी घरेलू पिच पर भारतीय टीम के बल्लेबाज़ों से भी ज्यादा गलती करते दिखाई दिए.



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