गौतम अडानी समूह की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। दरअसल, बांग्लादेश में अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार द्वारा भारत के अडानी समूह सहित अलग-अलग व्यापारिक समूहों के साथ हस्ताक्षरित बिजली समझौतों की जांच के लिए एक एजेंसी नियुक्त करने की सिफारिश की गई है। इस संबंध में अंतरिम सरकार ने एक समीक्षा समिति का गठन किया था, जिसने अब यह सिफारिश की है।
7 प्रोजेक्ट्स की समीक्षा कर रही समिति
पावर, एनर्जी और माइनिंग से जुड़े मंत्रालय की राष्ट्रीय समीक्षा समिति ने 2009 से 2024 तक शेख हसीना के निरंकुश शासन के दौरान हस्ताक्षरित प्रमुख बिजली उत्पादन समझौतों की समीक्षा के लिए एक प्रतिष्ठित कानूनी और जांच एजेंसी को नियुक्त करने की सिफारिश की है। मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के कार्यालय ने बयान जारी कर कहा कि समिति इस समय सात प्रमुख एनर्जी और पावर प्रोजेक्ट्स की समीक्षा कर रही है। इसमें अडानी (गोड्डा) BIFPCL का 1,234.4 मेगावाट का कोयला आधारित प्लांट शामिल है।
अडानी पावर की सब्सिडयरी है BIFPCL
अडानी (गोड्डा) BIFPCL अडानी पावर लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडयरी है। छह अन्य समझौतों में एक चीन की कंपनी के साथ हुआ है, जिसने 1,320 मेगावाट का कोयला आधारित पावर प्लांट बनाया है। बाकी समझौते बांग्लादेशी व्यापारिक समूहों के साथ किए गए हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे पिछली सरकार के करीबी हैं।
अमेरिका में भी मुश्किल
हाल ही में गौतम अडानी पर अमेरिकी अभियोजकों ने भारत में सोलर एनर्जी कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए अनुकूल शर्तों के बदले भारतीय अधिकारियों को 26.5 करोड़ डॉलर (लगभग 2,200 करोड़ रुपये) की रिश्वत देने में कथित तौर पर शामिल होने का आरोप लगाया है। अमेरिकी न्याय विभाग ने गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी सहित सात अन्य पर महंगी सोलर एनर्जी खरीदने के लिए आंध्र प्रदेश, ओडिशा के अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगाया गया है। इन परियोजनाओं से समूह को 20 साल से अधिक समय में दो अरब डॉलर से अधिक लाभ होने का अनुमान है।