अमेरिका में रिश्वतखोरी के आरोपों का सामना कर रहे गौतम अडानी समूह को नार्वे के बाद अब इजरायल का समर्थन मिला है। नॉर्वे के डिप्लोमैट और UN पर्यावरण कार्यक्रम के पूर्व एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर एरिक सोल्हेम ने इसे अमेरिकी ‘अतिक्रमण’ बताया है। वहीं, भारत में इजरायल के एंबेसडर ने कहा कि इजरायल चाहता है कि भारत का अडानी समूह देश में निवेश करना जारी रखे। एंबेसडर रूवेन अजार ने रॉयटर्स के साथ एक इंटरव्यू में कहा, “हम चाहते हैं कि अडानी और सभी भारतीय कंपनियां इजरायल में निवेश करना जारी रखें।” उन्होंने कहा कि अमेरिकी अधिकारियों के आरोप इजरायल के दृष्टिकोण से कुछ समस्याग्रस्त नहीं थे।
इजरायल में समूह की मौजूदगी
अडानी समूह के पास उत्तरी इजरायल में हाइफा बंदरगाह में 70% हिस्सेदारी है और वह देश में कंपनियों के साथ कई अन्य परियोजनाओं में शामिल है। इसमें सैन्य ड्रोन का उत्पादन और कॉमर्शियल सेमीकंडक्टर के निर्माण की योजना भी शामिल है।
क्या है अडानी समूह पर आरोप
अमेरिकी अधिकारियों ने पिछले हफ्ते गौतम अडानी, उनके भतीजे और अडानी ग्रीन के प्रबंध निदेशक पर आरोप लगाया। इसके मुताबिक भारतीय बिजली आपूर्ति अनुबंधों को सुरक्षित करने के लिए 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने की योजना का हिस्सा होने और वहां फंड जुटाने के प्रयासों के दौरान अमेरिकी निवेशकों को गुमराह करने का आरोप है। अडानी समूह ने सभी आरोपों से इनकार किया है और निराधार बताया है।
समूह के प्रमुख विदेशी निवेशकों में से एक आईएचसी ने कहा- अडानी समूह के साथ हमारी साझेदारी ग्रीन एनर्जी और टिकाऊ क्षेत्रों में उनके योगदान में हमारे विश्वास को दर्शाती है। अईएचसी 100 अरब अमेरिकी डॉलर के करीब परिसंपत्तियों का प्रबंधन करने वाली सबसे बड़े सरकारी कोष में से एक है।