Yeh Kaali Kaali Ankhein 2 Review: अगर कोई वेब सीरीज आपको मजबूर कर दे कि उसे एक ही बार में देख डालें तो मतलब उसमें दम तो है. ये ऐसी ही वेब सीरीज है और अपने पहले सीजन के मुकाबले ये और कसी हुई है और बेहतर है. इसमें और थ्रिल है, 6 एपिसोड की इस सीरीज का दूसरा सीजन नेटफ्लिक्स पर आया है. हर एपिसोड लगभग 40 मिनट का है और अगर इसे देखना शुरू करेंगे तो पूरी देखकर ही हटेंगे.
कहानी
गैंगस्टर अखिराज यानि सौरभ शुक्ला की बेटी पूर्वा यानि आंचल सिंह जबरदस्ती अपने बचपन के प्यार और अपनी सनक विक्रांत यानि ताहिर राज भसीन से शादी कर लेती है. शादी के बाद उसे जालान यानि अरुणोदय सिंह किडनैप कर लेता है और फिर विक्रांत से पैसा मांगता है. अखिराज पैसे का इंतजाम करता है. विक्रांत के प्यार श्वेता त्रिपाठी यानि शिखा की शादी हो रही है और वहां कोई कांड हो जाता है.
विक्रांत को ये डर है कि ये राज ना खुल जाए कि पूर्वा की किडनैपिंग के पीछे उसका हाथ है. इतने में वो किडनैपर से एक और गैंग डील करता है कि पूर्वा उन्हें दे दो. पूर्वा की मदद के लिए उसका दोस्त गुरू यानि गुरमीत चौधरी आ जाता है जो एक एजेंसी का तेज तर्रार एजेंट है. फिर शुरू होता है गजब का खेल, जो आपको खूब एंटरटेन करता है.
कैसी है सीरीज?
ये सीरीज जबरदस्त है, आप एक सेकेंड के लिए स्क्रीन से नजरें नहीं हटाते. हर थोड़ी देर में कोई ट्विस्ट एंड टर्न आता है, वो होता है जो आप सोचते नहीं. ये सीरीज तेजी से चलती है और आप भी इसके साथ तेजी से चलते हैं. किरदार तेजी से अपना रंग बदलते हैं, पहले सीजन में तो कहानी सिर्फ एक सनकी लड़की की थी जो एक लड़के को पाने के लिए हद से गुजर जाती है. लेकिन यहां चीजें और आगे बढ़ती हैं, नए किरदार आते हैं जो इस सीजन को और दिलचस्प बनाते हैं. स्क्रीप्ले एक दम कसा हुआ इसलिए आपको एक भी सीन ऐसा नहीं लगता जिसकी जरूरत ना हो.
एक्टिंग
ताहिर राज भसीन ने कमाल का काम किया है, यहां वो कमाल की एक्टिंग रेंज दिखाते हैं. अपनी बीवी के कत्ल की प्लानिंग से लेकर गैंगस्टर ससुर से सच छिपाने और अपनी असली मोहब्बत से इश्क जाहिर करने तक, उनके कई शेड्स दिखते हैंऔर हर शेड में वो कमाल हैं. ये बंदा आंखों से एक्टिंग करता है और गजब तरीके से आपको अपनी एक्टिंग का मुरीद बनाता है. बड़े वक्त बाद किसी यंग एक्टर की ऐसी कमाल की परफॉर्मेंस दिखी.
आंचल सिंह का काम भी शानदार है, वो भी अपने एक्स्प्रेशन और बॉडी लैंग्वेज से चौंकाती हैं. श्वेता त्रिपाठी भी अच्छी हैं, हालांकि उनके किरदार को थोड़ा सा और स्पेस दिया जाना चाहिए था. सौरभ शुक्ला हमेशा की तरह अपने किरदार में छा गए हैं, गुरमीत चौधरी का काम अच्छा है और अरुणोदय सिंह जमे हैं.
डायरेक्शन
सिद्धार्थ सेन गुप्ता का डायरेक्शन काफी कसा हुआ है, उन्होंने बड़े शातिर तरीक से नए किरदारों की एंट्री करवाई है. सीरीज को एक दम थ्रिल से भरा हुआ बनाया है. सीन्स को लंबा नहीं खींचा गया, दर्शक को सांस लेने की फुर्सत नहीं दी गई और यही इस सीरीज की खासियत है. जबरदस्ती में इसे 8 या 9 एपिसोड तक नहीं खींचा गया है. कुल मिलाकर ये सीरीज बिल्कुल देखिए.
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